By Sayyed Shariq Aks

जिसका दिल आइना नहीं होता
उस पे फ़ज़ले ख़ुदा नहीं होता
मौत बरहक़ अगर नही होती
कौन बंदा खुदा नही होता
ज़िद जो मूसा ने की नहीं होती
तूर हरगिज़ जला नही होता
ख़ुद न चाहो तो बात दीगर है
वरना चाहो तो क्या नही होता
ग़म से होती न फिर शनासाई
दिल जो तुमसे लगा नही होता
लोग होते हैं सब खफा लेकिन
कोई तुम सा खफा नहीं होता
तोड़ देते हैं लोग दिल कैसे
दर्द उनको ज़रा नहीं होता
अब तो हर पल मिरे तख़य्युल में
कोई तेरे सिवा नहीं होता
तब दुआऐं ही काम आती हैं
जब दवा से भला नहीं होता
इश्क़ नेअमत ख़ुदा की है यारो
इश्क़ करना बुरा नहीं होता
दोस्त बनके दगा जो दे 'शारिक़'
वो किसी का सगा नहीं होता