By Gayatri Vallabh Pandey
अँधेरे से प्रकाश लिख दूँ
रुदन से उल्लास लिख दूँ
लिख दूँ ज़मीन से आसमान
या भ्रम से विश्वास लिख दूँ।
अनकही बातें लिख दूँ
खुद से मुलाकातें लिख दूँ
लिख दूँ यादों की सौगातें
या नींदों में जगी रातें लिख दूँ।
विचारों से क्रांति लिख दूँ
युद्ध से शांति लिख दूँ
लिख दूँ शौर्य की कांति
या युद्धोत्तर क्लान्ति लिख दूँ।
अहम् को गौण लिख दूँ
किसका हैं कौन लिख दूँ
लिख दूँ ध्वनि से हुंकार
या शब्द से मौन लिख दूँ।
लिखना कोई मज़बूरी नहीं
लिखते रहना ज़रूरी नहीं
लिखो जब भाव और शब्द में दूरी नहीं
क्या लिखना जब ह्रदय की मंज़ूरी नहीं।
स्वछन्द लेखनी, स्वतंत्र विचार
से होता रचना का शृंगार।
या तो लिख सत्य निर्द्वन्द्व
हवा का रुख मोड़ दे
या दे तोड़ लेखनी
विवश है तो लिखना छोड़ दे।।