By Garima Singh
अब महायुध्द तो होगा ही !!!!
नहीं ये युग पांचाली का,
ना ही दुर्गा काली का;
ना इस युग में कोई राम रहा,
ना नारी का सम्मान रहा
हर एक यहाँ दुशासन है
हर एक के दिल में रावन है
और फिर हमसे पूछे है सब,
तू पतित है या पावन है;
लाज बचा के चलना तुम,
सर को झुका के चलाना तुम,
पता नहीं क्या हो जाए,
घर से नहीं निकलना तुम,
एसा है तो नारी मन,
सबके विरुद्ध तो होगा ही
अब महायुध्द तो होगा ही !!!!
पी ली अपनी लाज हया,
मर्यादा को तू फांक गया;
वो दमन तुने खींच लिया,
सबने आँखों को मींच लिया;
जिस धरती पर थे शास्त्र बने,
कई सत्य और कई यथार्थ बने
ना कृष्ण मिले पांचाली को
तुम इस युग के धृतराष्ट्र बने
फोड़ लो अपनी ये ऑंखें,
जो देखे बस अन्याय को
काट लो अपनी ज्हिवा को,
जो बल ना दे अन्याय को
जो रहते हो इन पापों मे,
तो मन अशुद्ध तो होगा ही,
अब महायुध्द तो होगा ही!!!!
कानून की देवी गांधारी,
कब तक सच झूठ को तोलेगी,
उतार के आँखों से पर्दा,
जो देखेगी अब बोलेगी
देखेगी आँखों में वेह्शत
निर्बल की आँखों में दहशत
देखेगी चुनरी के तार तार
चिल्लाते उसको बार बार
चीखेंगे अब जल्लाद सभी,
जब फाँसी गले को नापेगी;
अब हाथ लगाने से पहले
रूहें उनकी काँपेगी;
कोई रोक लो चाहे जितना भी,
निर्णय नियुक्त तो होगा ही
अब महायुध्द तो होगा ही !!!!