आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई – Delhi Poetry Slam

आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई

By Gagan Verma


आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई वह मुझे समझाने लगी है,
मेरी जेब में पैसे कम देखकर अपनी ज़रूरतें कम बताने लगी है।
वह कहती है मां को आराम कर और खुद सारे काम निपटाने लगी है,
आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई है वह मुझे समझाने लगी है।
अपनी सहेलियों से कुछ नहीं कहती, साथ घूमने जाने से कतराने लगी है,
आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई है वह मुझे समझाने लगी है।
वह कहकर एक्स्ट्रा क्लास है न जाने कितनों को ट्यूशन पढ़lने लगी है,
सच में बिटिया बड़ी हो गई है, वह घर खर्च मैं हाथ बटाने लगी है।
वो कहती है अपनी माँ से, तेरा ये आँगन बहुत याद आयेगा,
पार करूंगी तेरी दहलीज और एक पराया घर अपना बन जाएगा।
बार बार सोच उस पल को अपने आँसुओं से छिपाने लगी है।
आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई है वह मुझे समझाने लगी है.
खुद की परवाह छोड़ उसे मां-बाप की चिंता सताने लगी है,
आज मेरी बिटिया बड़ी हो गई है वह मुझे समझाने लगी है।


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