By Diya Sharma
रंगत सवर जाती है प्यार में।
सुना था मैने कि रंगत सवर जाती है प्यार में, तोह फिर क्यों उस रंगत पर अब मुझे मलाल होने लगा हैं।
लोग कहते थे कि मुस्कुराता बहुत हु मैं , तोह फिर क्यों अब उस मुस्कुराहट पर भी मुझे मलाल होने लगा है।
बरसो बाद जो देखी है ये रंगत अपनी, तोह उस रंगत पर भी क्यों अब सवाल होने लगा है।
लोग कहते है कि खिल जाते है अक्सर सब चेहरे प्यार में, तोह फिर क्यों अब उस खिलखिलाहट पर भी बस मलाल ही रह गया है।
बरसो पहले जानते थे जो लोग मुझे मेरी ही जिंदादिली के लिए, उस जिंदादिल अंदाज पर भी अब बस सवाल होने लगा है।
सुना तोह था मैने कि रंगत सवर जाती है प्यार में, तोह फिर क्यों अब उस रंगत पर बस हर वक्त सिर्फ मलाल ही होते रहता है।
बेशुमार खिलना था जिस चेहरे को फूलों सा, तोह फिर क्यों उस चेहरे के नूर को मैने हर पल सिर्फ मुरझाते ही देखा है।
बरसो पुराना था जो एक ख्वाब मेरा, उस ख्वाब को मैने अपनी ही आंखों के सामने बस राख होते देखा है।
लोग कहते है कि प्यार तोह हजारों ढेरो खुशियां लाता है, तोह फिर ये क्यों नहीं बताते कि बेवफाई का मनज़र तोह क्या तूफान लाता है।
सुना तोह यही था मैने कि हां रंगत बदल जाती है प्यार में, तोह फिर क्यों उस रंगत को मैने तो बस पल पल ढलते ही देखा है।
लोग कहते थे कि बहुत ज्यादा बोलता है तू, तो फिर आज क्यों मैने उन लाभों को बस चुप्पी में ही ढलते देखा है।
वो जो मैं कभी हर महफिल की जान हुआ करता था, तोह फिर आज क्यों मैने खुदको ही हर महफिल में एक कोने में बैठे देखा है।
वो मुस्कुराहट जो इस चेहरे से कभी उतरती नहीं थी , एक मुद्दत से उसको हजारों सवालों के पीछे कही कटघरे में खड़े देखा है।
एक वफ़ा की चाहत में मुझे बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ी है, एक इंतेज़ार में ही खुदको हर पल ये जिंदगी बितानी पड़ी है।
हां , सुना था मैने कि रंगत सवर जाती है प्यार में, पर हर पल मैने तो खुदको बस घुटते ही देखा है किसी के इंतजार में।
खुद से ज्यादा यकीन था मुझे जिस के प्यार पर, यकीन मानो उसी यकीन को मैने तिल तिल मरते देखा है उसी के ऐतबार में।
कहने को तोह कोई नहीं मरता सिर्फ एक यकीन के टूट जाने से, पर यकीनन उस यकीन के टूटने का दर्द तक भी कम नहीं होता किसी जहर तक के भी पिए जाने से।
लोग कहते है कि यादें जिंदा रखा करती है सालों साल दिलों में किसी के प्यार को, पर ये क्यों नहीं कहते कि वही यादें खा जाती है सालों साल उस इंसान का किसी दूसरे पर भरोसा करने के ऐतबार को।
एक वक्त ऐसा भी था जब बहुत ऐतबार था हमें उसके प्यार पर, उसी के प्यार ने आज प्यार तक से एतबार को उठते देखा है।
शायद सुना तोह था मैने कही कि रंगत सवर जाती है प्यार में, तोह फिर क्यों आखिर उस एक इंतेज़ार में मैने खुदको हर पल बस एक कैद में ही बंद देखा है।
लोग कहते है कि कुछ नहीं बदलता किसी एक के चले जाने से, मैं कहता हूँ कि बचता ही क्या है आखिर उस एक शख्स के हमें यू कतरा कतरा बिखेर जाने पे।
आसान होता है क्या यू तिल तिल बिखर कर भी खुदको फिर से समेट पाना, मैने तोह इस सिमटने में ही बहुत लोगों को पंखे से लटकते देखा है।
हां, सुना तोह जरूर था मैने कि रंगत सवर जाती है प्यार में, पर मैने तोह खुदको बस किसी की झूठी खुदाई में खुदको ही खोते देख है।
लोग कहते है कि प्यार सच्चा होगा तो वो लौटकर जरूर आएगा, पर मैं तो कहता हुं कि अगर प्यार सच्चा होगा तोह वोह तुम्हे अकेला छोड़के कभी भी किसी भी हालत में कही भी नहीं जाएगा।
और फिर किसी के लौटने का इंतेज़ार तोह बस इंतेज़ार ही रह जाता है,फिर से किसी के लौट कर आने तक वह शख्स खुद भी कहा खुद में जिंदा रह पता है।
हां,हां ये बिल्कुल सुना था मैने कि पूरी जिंदगी ही बदल जाती है प्यार में, पर अब जाकर कही ये समझा है मैने कि" ये लोग सिर्फ सुनी सुनाई बातें ही किया करते , हर कही सुनी बात के चक्कर में खुदको यूं बर्बाद नहीं किया करते।
सच्चे जज्बातों से खेल जाया करते है लोग अक्सर, यू जज्बातों से खेलने वाले लोगों को दिलों में जगह दिया नहीं करते"।।