एक अजीब सी पहेली है ये जिंदगी – Delhi Poetry Slam

एक अजीब सी पहेली है ये जिंदगी

By divya

हर पल एक नई चाहत
वो मिले तो भी मन अट्रिप्ट
और ना मिले तो भी मन अट्रिप्ट
 
पता नही क्या चाहती है ये जिंदगी हमसे, या फिर हम इससे
 
पता नही कि हम इससे से चाहते ज़्यादा है, या ये देते कम है
 
क्या वो दिन कभी आएगा, जब कन्हे की हा जो मिला वही चाहिए था,
या जो मिला उसने मुझे वही ख़ुशी दी जो मैंने सोची थी
 
एक अजीब सी पहेली है ये जिंदगी
 
शायद अपनी खुशियों को अपनी इछाऔ के हाथो गिरवी रख दिया है हमने
इछाऐ कभी संतोष होती नहीं और इसलिए खुशियां कभी ठहरती नहीं
 
एक अजीब से दोराहे पे खड़े है सब, मंजिल कोनसी है पता नहीं,
 
लगता है जैसे एक गोल घरे में बस भागती जा रहे है,
जिसकी ना कोई शुरुआत है या ना कोई अंत
 
और इसे पहले कि हम जिंदगी को समझ पाएं
बीत जाती है ये जिंदगी,
 
एक अजीब सी पहेली है ये जिंदगी


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