बात यहाँ ,उसकी ही हो रही है जो.. – Delhi Poetry Slam

बात यहाँ ,उसकी ही हो रही है जो..

By Deepti Sharma

मान, सम्मान से मिलवाने वाला अपना ,मान ढूँढता है |
पल- पल निखारने में लगा वो, अपनी रौनक खोजता है ||
समझौता वो कर रहा अपने आत्म सम्मान से|
फ़िर भी ,हर कोई उसमें ही कमी खोजता है||
उम्मीद के टोकरे का बोझ वो बेमन से उठाता है |
मन, मस्तिष्क में दर्द लिए वो देख सभी को मुस्काता है ||
रोटी - पानी, परिवार को दरकिनार खुद को कर रहा वो साबित...
पर फिर भी ,शाम ढ़लने पर वो खुद को भी कुछ ढलका हुआ सा ही पाता है |
उसकी सोच के पंखों को बाँध, उससे हर कोई उड़ान की उम्मीद जताता है |
सोचते नहीं उम्मीद रखने वाले कि, बंधे पंखों से क्या कोई उड़ पाता है?
वो लगा है खुद के ,आत्मसम्मान को बचाने की उधेड़बुन में
पर फिर भी ,जीवन को आत्म-सम्मान संग जीने का पाठ पढ़ाता है |
जो आता है,वो उसे अपनी मनमर्जी का बोल कर चला जाता है |
शब्दों के चयन की मर्यादा को लाँघ, अपमान के दरिया में डूबो जाता है ||
असमंजस में खड़ा वो खुद को समझता और समझाता है....
पर फ़िर भी
दिल पर लगी ठेस को हटा वो, मुख पर मुस्कान दिखलाता है ||
हैरानी है यह देखकर कि मान, इज्ज़त बच्चे और उनके माता पिता का ही क़ीमती माना जाता है|
न लग जाए उन्हें कहीं बुरा, यह सोच उसके अभिमान को गिराया जाता है |
माँ - बाप के बाद ईश ने भी है जिसे खास है माना |
उसके मान और स्वाभिमान को आज, पैरों तले रौंदा जाता है ||
देश का भविष्य बनाने के लिए वो अपना,वर्तमान झोंकता है|
देह, मन मस्तिष्क को गलाकर आज वो ही तिरस्कार झेलता है||
बदलती उम्मीदों के भार को नहीं पाया वो संभाल, इस बात से वाकिफ उसे हर पल कराया जाता है|
पर अंत में, देश को प्रकाशित सूर्य की चमक से वो ही, मिलवा जाता है ||
इतना सब कुछ पढ़ और सुन समझ में आपके भी ध्यान में शायद यही आता है|
कि बात
यहाँ उसकी ही हो रही है जो गुरु शिक्षक, अध्यापक या आचार्य कहलाया जाता है||


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