By Deepti Patel

स्पर्श एक नदी है
शब्दों की
तुम जब छूते हो मुझे
सारी अनकही बातें तुम्हारी
तैर कर
पहुँच जाती हैं मुझ तक
तुम्हारे स्पर्श से
लबालब भर जाती हूँ मैं
सागर हो जाती हूँ

स्पर्श एक नदी है
शब्दों की
तुम जब छूते हो मुझे
सारी अनकही बातें तुम्हारी
तैर कर
पहुँच जाती हैं मुझ तक
तुम्हारे स्पर्श से
लबालब भर जाती हूँ मैं
सागर हो जाती हूँ