Pyaar ka Ikraar – Delhi Poetry Slam

Pyaar ka Ikraar

By Deepika Kaur

 

चाहती थी मैं प्यार पर करती इनकार
आइने में अपने आप को करके नज़रअंदाज़

सुनेहरा चेहरा था मेरा या झूठी चमक
अपने असली रूप की नही थी भनक

इंसान हु मैं तबही तो हैं अरमान
मार के उन्हे मैने मार दिया इंसान

चाहती हु मैं प्यार कर लिया अपना दीदार
खिल गयी मैं तो करके प्यार का इकरार


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