By Deepak Tewari

उसके लिये मैं बस उसका था
पर मैं जाने किस किस का था ?
उसने मुझसे यूँ स्नेह किया
जैसे जनमों का रिश्ता था।
उसका मुझसे मिलना
जुड़ना, जीना-मरना
मेरे जीवन का छोटा सा पर
उसके लिये पूरा हिस्सा था।
मुझमें तो केवल क्रोध था
पर उसका स्नेह निृलोभ था।
जितनी भी उसकी आयु थी
बाक़ी जीवन का मोह था।
क्यों छीन लिया उसको हे प्रभू ?
क्यों कष्ट दिया इतना हे प्रभू ?
निसवाथृ प्रेम का फल है यही
जो करे उसका जीवन हो लघु?
अब याद करूँ उन यादों को
तसवीर पुरानी बातों को।
लिखता हूँ आज तुम्हारे लिए
जिससे तुम इनमें अमर रहो !