घरौंदा – Delhi Poetry Slam

घरौंदा

By Deepa Patare

मिट्टी से शुरू हुआ मेरा सफ़र,
आसमान तले था सपनों का घर।
ना थी छत, ना दीवारों का सहारा,
घर बनाना ही मेरे जीवन का किनारा।

जीवन का सबसे बड़ा सपना था एक घर,
जहां सजे मेरे सपने, मिले सुकून का असर।
तुमने वो सपना साकार कर दिया,
मेरा घर, मेरा स्वर्ग, मेरा मंदिर बना दिया।

चिड़िया जैसे तिनका-तिनका जोड़ती जाती,
वैसे ही मैं इसे अपने सपनों से सजाती।
हर कोना अपने मन से संवारा,
हर हिस्सा मैंने स्नेह से निखारा।
प्यार, देखभाल और बंधन के धागों से बुन,
तब मेरा घरौंदा बना ,एक मधुर-सुगंधित घर।

खुशियों से भरा, बढ़ने का अरमान था,
सपनों की उड़ान में ईश्वर का वरदान था।
तुम्हारे परिश्रम ने …नींव को संजीवनी दी,
तुम्हारे प्यार ने …हर दीवार को रोशनी दी।
अब ये घर नहीं, मेरे जीवन का सम्मान है,
यह मेरा घर है, जहां मेरी जान है।

फिर ईश्वर ने दिए दो प्यारे उपहार,
दो सोन चिरैया ने चहकाया हर कोना अपार।
मेरी दो बेटियों ने खुशियों से रंगा संसार,
उनके बिना अधूरा है मेरा हर त्यौहार।
उनकी नन्ही बाहों का आलिंगन है सबसे खास,
उनके प्यार से सजा है मेरा पूरा आकाश।

मेरा घरौंदा, जहां खुशियाँ बसी हैं,
जहां हर दिन दिव्यता की रीत चली है।
स्नेह के तिनकों से इसे मैंने बनाया,
प्रेम के कंबल से इसे सजाया।
एक प्यारा आशियाना, मेरा घरौंदा,

हर शाम जहां तुमको आना है,
मेरी चिरियाँओं को प्यार से सीने से मुझे लगाना है।
रुबाब में रहती हूँ यहाँ, और करती हूँ इंतजार,
माँगती हूँ सजीव हो जीवन का हर सुखद विचार।


8 comments

  • So true and devine

    Dr Swati dande
  • So sweet Deepa 😍
    Loved this… Keep writing !

    Kanchan Bapat
  • Amazing… emotional very nice

    Shilpi chauhan
  • So emotional, that’s the beauty

    Sangram
  • Beautifully penned emotions ! 👌🌷😍

    Dr Manisha Kakade
  • So beautifully written. A reflection of your emotions.

    Deepti
  • So beautiful!

    Vaishali
  • So beautiful ❤️

    Vaishali

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