हां, माता-पिता भी इंसान हैं । – Delhi Poetry Slam

हां, माता-पिता भी इंसान हैं ।

By Deep shikha Chauhan 

हां, माता-पिता भी इंसान हैं।
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मां जन्म देती है और पिता पालन करते हैं,
बच्चों को खरोच लगने से भी वो डरते हैं,
अपने बच्चों को सारी खुशियां देना चाहते हैं,
उनके लिए सब कुछ कर जाते हैं ।

पर मजबूर हूं मैं यह सोचने पर....
फिर क्यों अपने प्यार को एहसान बना देते हैं वो?
बच्चों की हर गलती पर यह बात सुना देते हैं वो,
मानो एहसान हमारा हमने पढ़ा-लिखा दिया है तुम्हें,
पाला-पोसा,खिलाया-पिलाया, इतना बड़ा किया है तुम्हें,
अब एहसान हमारा चुकाना होगा,
हमारे हर निर्णय पर सर झुकाना होगा ।

जन्म दिया है तुम्हें, तुम्हारे जीवन पर है हमारा अधिकार ।
हूं हैरान मैं, कैसे माता-पिता ने प्रेम को बना दिया व्यापार ।।

यह कैसी मानसिकता, यह कैसा प्यार है ?
जिसमें बच्चों के कंधों पर समाज की सोच का भार है।

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हां, मैं मानती हूं पिता आकाश और मां धरती होती है।
पर क्या यह कहना गलत है कि उनसे भी गलती होती है ।।
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तुम्हें इतना पढ़ना होगा कि करना होगा टॉप क्योंकि समाज में हमारा बहुत सम्मान है,
लेनी होगी साइंस ही, क्योंकि आर्ट्स से होता समाज में अपमान है ।

पूरे जीवन जो किया उसका हिसाब रखते हैं ।
यह प्रेम की कैसी परिभाषा वह व्यक्त करते हैं ।।

मां-बाप बच्चों की पूरी दुनिया होते हैं ,
इसीलिए बच्चे चुपचाप समाज की सोच का बोझ ढोते हैं ।

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हां, मैं मानती हूं माता पिता अपना पूरा जीवन लगाते हैं,
पर क्या बच्चे अपना कर्तव्य नहीं निभाते हैं ???
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लड़की हो अगर तो मर्यादा में रहो वरना चार लोग क्या कहेंगे,
अगर की अपनी पसंद से शादी,तो लोगों के ताने हम कैसे सहेंगे ??

और हो अगर लड़के तुम,
तो तुम पर परिवार की जिम्मेदारी होगी,
वाह-वाह करेंगे लोग जब नौकरी तुम्हारी सरकारी होगी,
नहीं करनी ऐसी नौकरी जिसमें जाना हो घर से दूर,
क्योंकि पूरे जीवन करनी तुम्हे सेवा हमारी होगी ।

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हां, मैं मानती हूं वह बच्चों की खुशियां चाहते हैं,
पर यह भी सच है कि कई बार स्वयं बच्चों की खुशियों पर ग्रहण लगाते हैं ।
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जब आती है शादी की उम्र, तब कहते हैं.....
बच्चों को जो पसंद होगा वहीं शादी करेंगे,
उन पर कोई दबाव नहीं होगा कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे ।

अंहकार उस समय माता-पिता का जाग जाता है,
जब बच्चा उनका किसी के प्यार में आ जाता है,
तब हो जाते हैं विरुद्ध प्रेम विवाह के,
बच्चों को करते हैं मजबूर मरने का डर दिखा के ।

मानसिक तनाव बच्चों का बढ़ जाता है,
जब मां बाप को खोने का डर दिल में आता है ।

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हां, मैं मानती हूं कि माता पिता महान होते हैं,
पर सच ये भी है कि उनके लिए बच्चों के भी कुछ बलिदान होते हैं ।
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देते हैं बलिदान अपने प्यार का ,
न जाने कैसे सह जाते हैं,
दिल तो चीखता है अंदर से बहुत,
और आंखों से आंसू चुपचाप बह जाते हैं !

फिर मां-बाप की खुशी की खातिर उनकी पसंद से शादी करते हैं,
और अपने ही हाथों अपनी जिंदगी की बर्बादी करते हैं !

जब तक बच्चे माता पिता की कहने में चलते हैं,
उनके कहे अनुसार स्थिति में ढलते हैं,
तब तक वो संस्कारी कहलाते हैं !

और जब खुद के लिए सोचकर सामने आते हैं,
इसी बात पर अपना अलग दृष्टिकोण बताते हैं,
तब क्यों माता-पिता से स्वीकार नहीं होता,
क्या अपने बारे में सोचने का बच्चों को अधिकार नहीं होता !

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हां, मैं मानती हूं माता-पिता बच्चों पर जान देते हैं,
फिर कभी-कभी बच्चों की खुशी के लिए उनकी बात क्यों नहीं मान लेते हैं?
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कभी पढ़ाई उनकी मर्जी से,
कभी नौकरी उनकी मर्जी से,
फिर शादी भी वही करवाते हैं,
और कहते हैं अब निभाना भी होगा,
और इस तरह अनचाहा रिश्ता बच्चे पूरे जिंदगी चलाते हैं !

न जाने ऐसे टूट जाते हैं बच्चों के कितने सपने,
इसका कारण वो चार लोग नहीं होते,
होते हैं उनके ये अपने ।

खुद को कहते हैं समझदार,
पूरी जिन्दगी का है अनुभव,यह बताते हैं ।
फिर कैसे छोटी सी उम्र में बच्चों से बलिदान करवाते हैं ?

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हां, मैं मानती हूं माता-पिता बच्चों के गुरु,
उनके मार्गदर्शक, उनके हैं जीवन दाता ।
पर गलत तब हो जाता है,
जब वो खुद को मानने लगे बच्चों का भाग्यविधाता ।।
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हम हमेशा सिखाते हैं बच्चों पर माता-पिता का कर्ज होता है।
पर माता-पिता को भी समझना है कि यह बच्चों पर एहसान नहीं, ये उनका फ़र्ज होता है ।।

माता पिता की सेवा करना बच्चों का धर्म है,
और बच्चों का सही पालन पोषण करना मां-बाप का कर्म है!
मगर कर्म को एहसान बनाएंगे,
तो कर्म का फल कैसे पाएंगे !!

खुशकिस्मत हैं वो बच्चे जो ऐसे मां बाप पाते हैं,
जो बच्चों की खुशियों के लिए उनके निर्णय में भी साथ निभाते हैं !

थोड़ा बदलाव परवरिश के ढंग में लाना होगा,
माता पिता को बस इतना समझाना होगा,
बच्चों को इस दुनिया में वो जरूर लाते हैं,
परंतु माता पिता को माता-पिता भी बच्चे बनाते हैं!!

अपने बड़े होने का अहंकार मिटाना होगा,
पीढ़ी के अंतर को उनकी नई सोच के साथ अपनाना होगा !!

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हां, मैं मानती हूं माता-पिता भगवान है,
पर सच ये भी है कि वह भी भटक सकते हैं,
वो भी गलत कर सकते हैं,
क्योंकि अंततः माता पिता भी इंसान हैं,
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हां, माता-पिता भी इंसान है !


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