By Chandra Prakash Pant

आज हमारी बुआ है आई।
थैली में मालपुआ है लाई।।
मालपुआ का खूब स्वाद है।
देसी घी में बना खास है।।
बुआ हमारी जब भी आती,
नए-नए वह व्यंजन लाती।।
थाली और कटोरी भरकर,
हम बच्चों को खूब खिलाती।।

आज हमारी बुआ है आई।
थैली में मालपुआ है लाई।।
मालपुआ का खूब स्वाद है।
देसी घी में बना खास है।।
बुआ हमारी जब भी आती,
नए-नए वह व्यंजन लाती।।
थाली और कटोरी भरकर,
हम बच्चों को खूब खिलाती।।