By Brindavan Rai Saral
धरती को खुशहाल बनाना।
आज जरूरी पेड़ लगाना।।
पेड़ों से छाया मिलती है।
पानी की आशा खिलती है।।
शुद्ध हवा के झोंके मिलते।
बदबू के होठों को सिलते।।
जीवन की सांसे बढ़ जाती।
फिजा ज़हर की पनप न पाती।।
गांव नगर में पेड़ लगाना।
जन्नत की बुनियाद बनाना।।
पेड़ों पर हम ज़ुल्म करें ना।
सूखे से हम इन्हें बचाये*।।
पेड़ों से जीवन खुश रहता।
पेड़ों से जीवन दुख घटता।।
नदियों में न वेस्ट मिलाओ।
इनमें लाशे* नहीं बहाओ।।
अपनी जीवन अपनी खुशियां ।
पानी बिना न चहके चिड़ियां।।
पानी है सोने सा महंगा।
जैसे हीरे वाला लहंगा।।
पानी से जीवन धरती पर।
पानी से कुछ नहीं है बढ़कर।।
पानी अमृत पानी सोना।
पानी से खुश कोना कोना।।
इसकी रक्षा बहुत जरूरी।
अपनी दुनिया की मजबूरी।।
इसको आज बचाना होगा।
जन-जन को समझाना होगा।।
पर्यावरण बचाना होगा।
पेड़ नए लगवाना होगा।।
पानी स्रोत बनाने होंगे।
जंगल हमें बढ़ाने होंगे।।
पर्यावरण बचना होगा।
पर्यावरण बचाना होगा।।
Kavita mere vichar se aaj kl jis bat ki
Jrurt hai, uske liye kavita uchich hai,
Dharti or aakash ka mosam sahi ho, jahreela n ho, पेड़ न काटे जाएँ,, बम न फोड़े जाएँ,
युद्ध न हों,,
बिंद्रावन राय सरल सागर मप्र