By Bitupan Das

( सरफ़रोशी की तमन्ना , बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित ग़ज़ल से प्रेरित)
कलम अगर हाथ में है,
तो क्यों बैठा है तू आराम से यहाँ?
देखो, देश अभी मुश्किल में है।
काट दे सर हथियार के,
जो हथियार दुश्मन के हाथों में है।
प्यार का रंग लगा दे तू,
जो नफ़रत लोगों के दिल में है।
झूठ का परदा घेर ले अगर दुनिया को ,
तुझे बस सच की रोशनी उसमें गिरानी है।
आंख की खिड़की बंद करके तुझे ,
सच की रोशनी दिल में भी आने देनी है।
भूखे हैं शहर के कुत्ते सारे,
देश के जिस्म को उन्हें खाना है।
उनकी लालसा कैसे खतम करेगा तू ,
बस उनको अपनी थाली से संतुष्ट रखना है ।
शहर के कुत्ते सारे तो भौंकेंगे ही,
देश के जिस्म को अगर तुम्हें बचाना है।
तुम्हें तो बस अपनी राह से भटकना नहीं है,
तुम्हें तो सिर्फ आखिर तक चलना है।
नारी को पूजने वाला देश है मेरा,
देश में उनका हक कहां है ।
जल रही हैं रोज निर्भया सपनों की चिता में ,
चीता में आग अब देता कौन है ।
बोलते हैं लोग, मैं हिंदू तू मुसलमान ,
हम लोगों में कोई मेल नहीं है ।
क़लम की पुकार सुनते ही क्यों ,
देश के लिए रग-रग में खून दौड़ता है ।
गरीबों से रोटी छीन कर भी,
अमीरों के पेट क्यों भरते नहीं है ।
अमीरी में कहां दिल का सुख मिलता है,
क्योंकि गरीब उनके दिल में प्यार का महल
कहां सजता है।
मुझे क़लम से लिखनी है आज़ादी,
देश अगर अपनों की ही गुलामी की ज़ंजीर में है ।
अन्याय के ख़िलाफ अकेले ही चल पड़ो तुम ,
कौरवों की हार निश्चित है ।
धर्म के ठेकेदार सिंहासन पर बैठे हैं,
प्रजाजन बस भगवान को खरीदने की फिराक में हैं।
इन्सानों के ये रूप देख कर,
भगवान भी अब भयभीत है।
आज कल जात-पात कोई मानता नहीं,
इस युग में कहां ये सब चलता है।
फिर भी लोग बहाने ढूंढ कर,
बात-बात पे उन्हें तिरस्कृत क्यों करते हैं।
युगो-युगो तक वंचित रहा,
शिक्षा से, समाज के हर एक हिस्से से,
आज थोड़ी देर के लिए क्या अपना हक मिला,
दुनिया सब क्यों अब में जल्दी है?
देश में आज भगत सिंह नहीं,
देश में आज बापू की आवाज कोई सुनता नहीं।
अगर कोई सुन पाये तो सुन ले मेरी क़लम की पुकार,
देखो, देश अभी मुश्किल में है।
क़लम की आज तुम पुकार सुन लो,
हाथ में तुम प्यार का बाण ले लो ।
दानव सारे तांडव कर रहे हैं,
प्यार का बाण उनके दिल में दाग दो ।
प्यार से अगर कोई काम न आए तो,
कुरूक्षेत्र का रण तेरे सामने है।
क़लम की पुकार दिल को समझने देनी है,
और हाथ में आशिक को भी हथियार उठाना है।
एक हाथ में तुम क़लम लो,
एक हाथ में देश का भार,
धरती अगर जल रही है,
तो सुन लो तुम बारिश की पुकार।
देश की सड़कों का हाल बेहाल है,
नेताओं को उन सड़कों से गुज़रने की फुरसत कहां है?
सड़क हादसे में दो लोगों की मौत,
अख़बार में ये ख़बर छपेगी।
नेता श्रद्धांजलि देने जरूर आएंगे,
मुआवज़े के नाम पे ,
अनमोल जिंदगी को कुछ सिक्को से खरीदेगा।
(कन्या भ्रूण हत्या)
तुम्हें कोख में ही मार दिया गया,
असल में वही सही है।
ये देश तेरे लायक नहीं,
जिस देश की सड़कों पर भेड़िए घूमते हैं।
माँ की कोख में ही तेरे उड़ने का आसमां है,
ये दुनिया तो तेरे लिए एक पिंजरा है।
पग-पग लोग सिर्फ तुम पर ही सवाल करेंगे,
उल्टा कब कोई उन पर हम सवाल करेंगे?
(बाल विवाह)
लाल जोड़े में इतनी तू खूबसूरत नहीं,
जितनी के हाथों में किताब से लगती है।
तेरा बचपन तुझसे छीन लिया गया,
तेरे सपनों का गला घोटते अब कौन हैं?
अन्याय के खिलाफ तुझे अकेले ही लड़ना है,
निहत्था हो तू अगर, फिर भी,
दुश्मन की लाठी से तुझे डरना नहीं है,
अपनी आवाज हमेशा बुलंद रखना है ।
नक्शे में क्या रखा है,
ये देश बनता है लोगों से, हां।
देश की ज़मीन सुरक्षित रहेगी,
अगर तू जोड़ेगा देश के लोगों को, हाँ।
अन्याय के खिलाफ दुनिया से तुझे लड़ना है,
अगर अपने ही अन्याय के साथ मिल जाए तो,
तुझे खुद ही अर्जुन, खुद ही कृष्ण बनना है ।
तुझे तो बस कुरूक्षेत्र के रण में, डटे रहना है।
हथियार मिटाते हैं इंसानों को,
क़लम बदलते हैं इतिहास को,
जब तक रगों में खून है,
मेरा इंकलाब ज़िन्दा है।
ये कलम मेरा इंकलाब है,
किसी का तो खून ख़ौलना है,
मेरी जगह किसी को तो कलम उठाना है,
ये इंकलाब जिंदा रहना है ।
हर एक के लबों पे राम राम है,
मगर किसी के दिल में राम नहीं।
हर एक को चाह है राम से मिलने की,
राम जैसा संघर्ष किसी को आता नहीं।
हर किसी की ख्वाहिश है राम राज्य की,
राम जैसा सिंहासन में कोई है नहीं।
उनके जीवन में दुखों का कोई अंत नहीं,
मगर सुखों के सिवा प्रजा में कुछ बांटा नहीं।
देश के सिंहासन में सब हैं जैसे भूखे कुत्ते,
किसी को चाहिए रावण जैसा अनेक सर ,
तो किसी को चाहिए रावण जैसा सोने-मोती का हार,
इसलिए राम जैसा संघर्ष किसी को आता नहीं।
(बाल श्रम)
तुम्हारे दिल को भी दुखना चाहिए,
जब बच्चे का बचपन छीन लिया गया हो ।
उनके हाथों में किताब नहीं,
कंधों पर सपनों की चिता का बोझ हो।
हां, तुम्हारे दिल को भी दुखना चाहिए,
जब मासूम उनके शरीर पर,
किसी जालिम का हाथ उठा हो,
हां, तुम्हारे दिल को भी दुखना चाहिए,
(Corruption)
भूखे हैं शहर के कुत्ते सारे,
देश के जिस्म को उन्हें खाना है।
उनकी लालसा कैसे खतम करेगा तू ,
बस उनको अपनी थाली से संतुष्ट रखना है ।
शहर के कुत्ते सारे तो भौंकेंगे ही,
देश के जिस्म को अगर तुम्हें बचाना है।
तुम्हें तो बस अपनी राह से भटकना नहीं है,
तुम्हें तो सिर्फ आखिर तक चलना है।
हर कोई चल पड़ा अपनी-अपनी राह में,
बापू की राह में चलने की फुरसत अब किसको है?
घूसखोरों की जेब में बस बापू की उम्मीद है।
बापू को दिल में जगह देता अब कौन है?
पूरे सिस्टम का हाल-बेहाल है,
देखो अब मेरा क्या हाल है।
हर कोई है देश की जागरूक जनता,
हर कोई सो रहा है।
ये एक अजीब सी मकड़ी का जाल है,
जो भी इसके अंदर गया,
निकलने का क्या कोई उपाय है?
ये एक अजीब सी मकड़ी का जाल है।
देश प्रेम के बीज लोगों के दिलों में बोना है,
पौधे को हर एक पीढ़ी को पानी देना है,
देश प्रेम के फल हर मौसम लगने हैं,
एक नये देश का निर्माण होना है।
कमजोरों पे जितना चाहे ज़ुल्म आज कर,
मेरे क़लम के प्रहार बरसेंगे ,
इन सारे बुज़दिलों पर,
जब हज़ारों भुजाए मिलेंगी एक ही सर पर।
तेरी कलम की आवाज तू इतनी बुलंद कर ,
कि तेरी खामोशी से भी दुश्मन डर जाए,
उनके हाथों में हथियार नहीं ,
होठों पर अमन-शांति की बातें ठहर जाएं।
जब तक अन्याय खुद पर ना हो तो,
कोई आवाज़ नहीं उठता ,
जब तक कोई ना जगाये ,
तो ये खुद से नहीं जागता।
आंखें खोलकर और कितना सोओगे,
अब जागने का समय है।
अँधेरे में रात बहुत बिता ली,
अब सुबह की शुरूआत होनी है।
कलम अगर हाथ में है,
तो क्यों बैठा है तू आराम से यहाँ?
देखो, देश अभी मुश्किल में है।