By Bineet Dwivedy

जननी के चरणों में हो बलिदान हमारा,
वतन की माटी को माथे का ताज बनाएँ-
जहाँ सदा सूरज स्वर्णिम रश्मियाँ बरसाए।
मिट्टी का हर कण गीत समर्पण गाए,
वीरों के रक्त से अमर गाथा कह जाए।
सरहद के पत्थर गवाह हैं हमारे इरादों के,
स्वप्न सदा जगाएँ जन-जन के नादों के।
तूफ़ानों में भी दीप जलाएँगे हम,
गगन में तिरंगा सदा फहराएँगे हम।
आँधियों से डरने का नाम नहीं,
भारत माँ की सेवा में थमने का काम नहीं।
प्रण ये लें-राष्ट्र को ऊँचाई पर पहुँचाएँ,
समर्पण, साहस और प्रेम से राह सजाएँ।