ज़िन्दगी के कुछ सच – Delhi Poetry Slam

ज़िन्दगी के कुछ सच

By Bhargavi Arora

ज़िन्दगी खुशगवारी की कहानी नहीं है
जिद्दोजह्द से पहले रवानी नहीं है 
ख़सारा से मंसूब हो जाए तो
रूह में वीरानी नहीं है।  

जिस राह को रास्ता समझ रहे थे 
वो तो काँटों से भरा निकला
पर उससे रंजिश और रश्क हटाया
 तो वो इबादत ख़ाने से जा मिला।  
 
ख़लिश शब्-ए-फ़िराक़ से
कश्मकश दिल की चाह से
आरज़ू है देखे कोई क़रीब से
गिला रक़ीब से नहीं नसीब से।  

वफ़ा ना कर पाना बेवफाई तोह नही
दिलों का ना मिल पाना जुदाई तो नही 
वादा ना कर पाना मनाई तो नही
ना चाह पाना हरजाई तोह नही।  

मुझसे पूछते हो की दिल का हाल कैसा है
मैं कहूँगी की यह काफ़िर होने से डरता है
कल पूछोगे की ज़माना कैसा है 
में कहूँगी की फ़िराक़ के बीचों बीच खड़ा है।  

मौत अपने साथ कर्राहट लाती है 
दिल का एक टुकड़ा छीन कर ले जाती है
अगर दर्द से मोहब्बत हो जाये तोह
 मोहब्बत दर्द नहीं दे पाती है।  


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