By Harshit Mishra
किसी की आँखों में हमने तारा देखा था,
अपनी आँखों से नज़ारा देखा था,
तेरी आँखों में एक सहारा देखा था।
इश्क के इस मुकाबले में जीत तो कम से कम हमारी हुई,
तेरे साथ गुज़ारे दिन तो हंसी थे,
पर अब ये तन्हा राते भी तो हमारी हुई।
जिन हाथों को कभी तेरे हाथ ने थमा था,
उन्हीं हाथों को अब ये कलम थमाता है,
वक्त तो सब गुज़ार्ते हैं तेरे साथ,
कोई कोई तुझे अपना बताता है।
कि तुझे देखना तो अब हम कभी चाहते ही नहीं
पर जहाँ भी जाता राह ताकता हूँ तेरी,
इन आँखों से तुझे वापस देखना तो चाहता हूँ,
पर अब आखें भी थक गई हैं मेरी।
धैर्य तो इतना है कि अगले जन्म तक भी तेरा इंतज़ार करेंगे,
चाहे अब रब्ब खुद मन कर दे,
तुझसे जीवन भर या अगले जन्म तक प्यार करेंगे।
मेरा दिल नहीं था झूठा, आज भी उतना ही प्यार करता है,
बस फर्क इतना है अब ये कहने की जगह इंतज़ार करता है।

kya baat hai bhai ❤️