एक गीत हूँ मै कहना चाहता – Delhi Poetry Slam

एक गीत हूँ मै कहना चाहता

By Balwan Singh Manav 

एक गीत हूँ मै कहना चाहता,
कुछ याद में तेरी बहना चाहता,
बेशक नम ना हों पलकें तेरी,
दिल के सागर में रहना चाहता। 

एक गीत हूँ मै
बिन पंखों के उड़ना चाहूं,
पानी बिन मै तैरना चाहूं,
बेशक सपने मुक्त हुए मेरे,
तुम संग यूं ही मरना चाहूं,
ये इच्छा मै पूरी करना चाहता। 

एक गीत हूँ मै
मुझे याद है तेरी वो अठखेली,
मीठी बातें और मीठी बोली,
चेहरे से तेरे बरसे नूर,
सीरत से कितनी भोली,
इस सीरत पर मैं हूँ ढहना चाहता। 

एक गीत हूँ मै
क्या क्या उपमा दूं सनम तुझको,
करूं मैं शोभित कहाँ तुझको,
शब्द ही नहीं अब पास मेरे हैं,
कलम लगे फीकी अब मुझको,
शब्द ऐसा मैं कोई गहना चाहता। 

एक गीत हूँ मै
तुम बिन जीवन सूना मेरा,
बन हंसिनी दिया साथ मेरा,
तुम ही यामा तुम ही भोर,
तुम संग महके उपवन मेरा। 

खग मानव से बन मैं चहना चाहता
एक गीत हूँ मै कहना चाहता 
एक गीत हूँ मै कहना चाहता। 


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