By Dolly Ahuja

बहती हवा से कह दो
सताए न यूँ हमको
सनम तो हैं बेख़बर
और ये है सितम ढाती हम पर!
कि झूठ ही सही,
कोई कह देता, ‘उनकी नज़र भी है इधर’,
तो सच, बेक़सी के इस आलम में
शादमा से भीग जाते बाशर!
गरचे देखा किए उन्हें रोज़ाना,
भला ये मिलना भी कोई मिलना हुआ?
वो किताबें लिए चले आते हैं,
हम जान के सामने पड़ते हैं,
वो देखते हैं कभी इधर, कभी उधर!
कब फिज़ा बदलेगी?
कोई बता देता, तो राहत हो जाती
कि जिस किसी से पूछा,
कहते हैं, ‘बारिश कुछ ही दिनों में होगी’
अब बैठे हैं ये उम्मीद ले कर
देखें कभी वो भी नज़र भर कर
फिर इन आँखों की प्यास दिख जाएगी
रेगिस्तान में बादल घिर आएँगे,
एक नज़र जो प्यार की मिल जाएगी!
बहती हवा से कह दो,
उनका आँचल लहराए जा कर!
वो घबराएँ,
हम सम्हालें,
और वो देखें हमें शुक्रिया कह कर!
Wow, the words, So beautifully expressed!❤️
Lovely
❤️
Love, Concentrated in a moment, in a look. Then, Love, expanding into nature, calling rain. Again, Love, hoping for one thankful look.
Love.
Lovely ..
Very well written
Beautifully written. Love it. ❤️❤️❤️