By Aya Kasab
मत पूछो, मैं तुमसे कितना और क्यों प्यार करता हूँ?
मैं तुम्हें बता तो देता,
पर बताऊँ तो बताऊँ कैसे?
ये शब्दों के बनाए पिंजरे इस एहसास को क़ैद ना कर पाएँगे,
ये पिंजरे क़ैद करें तो करें कैसे?
ये शब्द इस दुनिया के हैं,
मगर ये एहसास इस दुनिया का नहीं।
अगर फिर भी बयां करना पड़ा ये एहसास हमें,
तो लफ्ज़ लाने होंगे उस खुदा के पास से।
पर अब तो वो खुदा भी रूठा बैठा है,
और हक़ भी है उसका रूठ जाने का।
तुम्हें देखकर खुदा जो बदल लिए हैं हमने अपना,
अब कोई रास्ता नहीं इसे बयां कर पाने का,
बस अपने आप को हमारा खुदा मान लो।
this poetry represent when someone ask me, why do i love them and how i love them ? it shows that it cannot be expressed but yes i have ended all my desire of asking for anything in return of love and i have entered a state where my loved once have become GOD me