क्लोरोफिल – Delhi Poetry Slam

क्लोरोफिल

By Atal Kashyap 

वे पत्तियाँ हरी
शाख से जुड़ी,
क्लोरोफिल लिए,
इठलाती हैं क्षणिक,
फिर शांत हो जाती हैं।

देखती हैं
पीली पत्तियाँ,
जो हो चुकी हैं
अलग शाख से,
क्लोरोफिल-विहीन।

परिवर्तन सह जाती हैं,
करती हैं साँझा
अपना दर्द,
जब उसी आँगन में,
दूसरे छोर खड़ी मिल जाती हैं
पीहर को छोड़
पीलापन लिए बेटियाँ।


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