By Atal Kashyap
वे पत्तियाँ हरी
शाख से जुड़ी,
क्लोरोफिल लिए,
इठलाती हैं क्षणिक,
फिर शांत हो जाती हैं।
देखती हैं
पीली पत्तियाँ,
जो हो चुकी हैं
अलग शाख से,
क्लोरोफिल-विहीन।
परिवर्तन सह जाती हैं,
करती हैं साँझा
अपना दर्द,
जब उसी आँगन में,
दूसरे छोर खड़ी मिल जाती हैं
पीहर को छोड़
पीलापन लिए बेटियाँ।