घमण्ड का जाल – Delhi Poetry Slam

घमण्ड का जाल

By Ashwani Kalra

दुनिया है घमंड का प्याला
हर कोई यहाँ घमंडी साला
घमण्ड मे हुआ इंसान इतना चूर
हुआ हर अच्छे काम से दूर
दिन रात घमण्ड मे डूबा
समझे अपने आप को अजूबा
लोक लाज सब बेच है खाई
घमण्ड मे रहता डूबा भाई
शमशान देख भी अक्ल ना आई
हमेशा दूसरों की हंसी उड़ाई
अब तो छोड़ दे घमण्ड तू सारा
ले ले प्रभु के नाम का सहारा


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