खयालों में – Delhi Poetry Slam

खयालों में

By Aryaveer Naya

क्यों डूबा है खयालों में, खयालों में रखा क्या है
दूर तो चाँद भी हमेशा सितारों से रहा है

इस राज़ को सुलझाऊँ कैसे, दिल में छुपा है क्यों
रात भर भीगती हैं आँखें, आँसुओं से भरी हैं क्यों

क्या है ये मंज़िलें, जो है तू पास मेरे
दिल को है यकीन, तेरी राहों में है सुकून ये मेरे

चाँद से भी बातें सिर्फ तेरी ही करूँ
दिन में भी खोया तेरे ख़्वाबों में रहूँ

तू जो पूछता है मुझमें ख़ास क्या
तुझे क्या पता तू वो है जो मैं खोजता रहा

अब अकेले मैं ही क्यों जिम्मेदार हमारी इन दूरियों का
कुछ हाथ तो तुम्हारा भी था

मैं बेपरवाह बेवजह नहीं बना
साथ छूटा बहुतों का था


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