Arpita Tripathi
जब दिल का समुंदर भर सा गया हो
मन में कोई डर घर कर गया हो
तब कहीं दूर एक रोशनी सी आएगी
तुझ भटके को फिर अपने लक्ष्य की राह दिखाएगी
सपनों की दुनिया में इतना खो न जाना
झूठ की बुनियाद पर ख्वाहिश की नींव न बनाना
चंचल मन इस लिए कहलाता है
क्योंकि कोई भी इसका जाल समझ नहीं पाता है
पता नहीं चलता कब वक्त हाथ से निकल जाता है
ए इंसान फिर तू क्यों पछताता है
सब सामने होते हुए भी कुछ नहीं दिख पाता है
डर का कोहरा सच छुपाता है
इससे बचने फिर क्यों तू तड़पता है
गहराइयों में जवाब मिले ये जरूरी नहीं है
क्या तूने सोचा है उनके बारे में जो तुझे अपना मानते हैं क्या उनकी कोई मजबूरी नहीं है
एक बार ठोकर खाने पर तूने तो हार मान ली पर उनका क्या जिन्होंने तुझसे आशाएं लगाई हैं
उन्होंने ज़िंदगी में कितनी ठोकरें खाई हैं
जिन आशाओं को तूने बोझ समझा है
उनसे कइयों ने अपनी कामयाबी की सीढ़ियां बनाई हैं
आसमा में उड़ने की चाहत में
तू जमीन पर चलना भूल गया
दूसरों की कमियां ढूंढते ढूंढते
तू खुदकी कमी को भूल गया
ये बातें कड़वी हैं पर सच टल नहीं सकता
तेरे अलावा कोई तेरी जिंदगी बदल नहीं सकता
कौन पागल कहता है तू कुछ कर नहीं सकता
कोशिश करने पर तो हारी हुई बाज़ी भी जीत बन जाती है
ये ज़िंदगी है प्यारे हर पल अपने रंग बदल जाती है
क्या रोज़ रोज़ डरकर लड़ना ही छोड़ देगा
आधे रास्ते आकर अपने पांव यूं ही मोड़ देगा
गलतियों को याद करके तुझे आंसुओं की नदी बहानी है
या गलतियों से कुछ सीख कर चेहरे पर मुस्कान लानी है
राह बदलने से आसान नहीं होती है
मुश्किलों से भागने के लिए ये ज़िंदगी बहुत छोटी है
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Fantastic Poem , heart touching
Fantastic Poem , heart touching
Very Nice 🙌🏻