गाथा वीर शहीदों की – Delhi Poetry Slam

गाथा वीर शहीदों की

By Arpita Anand Thakur 

यह सिपाही है जो वीर अमर,
देश को करे प्रणाम, जोड़कर अपने दोनो
कर।।
लगे जैसे प्रकृति ने, दोनो ही हाथों से सजाया है।
रक्षा करे जिसके वीर बेटे, उस देश को भला कोई क्या भेद पाया है।।
यही एक ऐसा देश है जिसपे कभी ना आया क्लेश है।

शहीदों को करते हम नित नित नमन।
जिसके वजह से रहता, चैन और अमन।।
हो चाहे वो दिन होली या ईद,
रहते है तैयार वो, होने को शहीद।
गौरव है इस देश का, जिसका नाम हिमालय।
होने न देते वो हमारे सीमाओं का विलय।।
यही एक ऐसा देश है, जिसपर कभी ना आया क्लेश है।।

थी जिनकी वर्दी खाकी, जब आई महामारी।
रंग जिनका हुआ सफेद, हुआ मन में बड़ा ही खेद।।
जब हुई महामारी के लहरों की गिनती,
हाथ जोड़कर किया इन्होंने, सभी लोगों से विनती।
यही एक ऐसा देश है, जिसपर कभी ना आया क्लेश है।।

अखंड हो, प्रचंड हो प्रशस्त हो, उस ओर तू।
दुशमनों का नाश हो, जिस ओर हो प्रशस्त तू।।
ललकारता है आज वो, बिना किसी मलाल के,
वीरगाथा उसने पढ़ी नहीं, मां भारती के लाल के।
नसीबों वाले हैं, हम भारत वासी।
जिसके पास है ऐसे कई हज़ार अविनाशी।।
यही एक ऐसा देश है, जिसपर कभी ना आया क्लेश है।।


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