By Arnima Sharma

ना पत्थर हों , ना कांटे हों,
ऐसी एक डगर चाहिए,
पूरा विश्व साथ में खुश रहे ,
ऐसा एक नगर चाहिए ।
गिले शिकवे सब दूर हों ,
ऐसी जिंदगी नयाब चाहिए,
हर परेशानी का हाल देदे,
ऐसी एक किताब चाहिए ।
मन की दशा व्यक्त करें,
ऐसे कुछ अक्षर चाहिए,
खुशियों से भरा आलय हो,
ऐसा एक घर चाहिए ।
दूसरों को ठेस ना पहुंचाए,
ऐसा एक इताब चाहिए,
इस मतलबी वक्त से ,
हर एक आंसू का हिसाब चाहिए ।
धर्म, जात-पात से परे हो,
ऐसी सबकी नज़र चाहिए,
कल की चिंता ना हो ,
जिंदगी का ऐसा सफर चाहिए ।
जीवन की हर मंशा पूरी हो,
ऐसा एक ख्वाब चाहिए,
हर प्रश्न को दूर कर दे,
ऐसा एक जवाब चाहिए ।
इंसान ही इंसान की मदद करे,
ऐसा एक मंजर चाहिए,
दोस्त बने रहें सभी,
ऐसा होना अक्सर चाहिए ।
तन को भिगोए, मन को शांत करे,
ऐसा एक तलाब चाहिए,
सबकी नज़रों में अच्छा चरित्र हो,
ऐसा एक खिताब चाहिए ।
जीवन खुशनुमा बीते,
बस इतनी ही उमर चाहिए,
सब प्रेम भाव से बोलें,
बस इतनी जीवन में कदर चाहिए ।
बुरे लम्हों को जला दे,
ऐसा एक मेहताब चाहिए,
इस तेज़ी के दौर में साथ देने वाला,
एक मजबूत रकाब चाहिए ।
ना कुरान का पन्ना मंदिर,
ना गीता का पन्ना मस्जिद के आगे गिरे,
एक धर्म दूजे धर्म को भाई कहता फिरे,
कोई निम्न ना रहे, विकास में ऐसी पहुंच चाहिए,
सब खुशी-खुशी साथ रहें,
बस ऐसी एक सोच चाहिए ।