By Aparna Thakur

काले बादल आओ मेरे देस,
लिए फुहार पानी की बना लो कोई भेस!
धरती सूखी, अम्बर सूना क्यों रहते हो परदेस,
काले बादल आओ मेरे देस,
सूखी डाली की आह सुनो,
धरती का राग मल्हार सुनो,
पक्षियों की ललकार सुनो,
ये सब दे रहे तुम्हे सन्देस,
काले बादल आओ मेरे देस!