शहर – Delhi Poetry Slam

शहर

By Aparna Kunal Banerji

ये शहर बड़ा पुराना है,
यादों का ख़ज़ाना है ।
मोटर कार चलती जाये,
राहें गुज़रती जाती,
कहानियाँ गुनगुनाती हुई ।
इन आँखों के पलके तले,
कई सपने पले ।
हर दरख़्त,हर पत्थर
हर सड़क।
खुला आसमान,
पंछी,
मुझे आईना दिखाते,
मुझसे मेरी पहचान करते ।
जिस किस से मैं टकरायी ।
चारों ओर,
सरगम के सुर झनझनाय ।
हरी घाँस की चादर,
गुलाबी फूलों से जड़ी,
जिस पर मैंने लम्हे गुज़ारे,
आज बाँहें फैलाये,मुझे बुलाये ।
क्यों हवा भी,मेरे संग मुस्कुराए ।
बस यूँही,बटोरती चली गई ।
इस शहर की याद,
बनाती चली गई ।
नई यादों के बुलबुले,
सच,
ये शहर बड़ा पुराना है,
मेरी ख्वाहिशों का फ़साना है।


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