अपने सपने और खुशियां – Delhi Poetry Slam

अपने सपने और खुशियां

By Anshu Kumari

मुक्कमल होगी वो खुशियां,
जो तेरे हिस्से में हैं l
पूरी होगी वो मुरादे,
जो तेरे हिस्से में हैं l
ख़्वाब यूं ही बिखरा नहीं करते,
सपने यूं ही टूटा नहीं करते l
वक्त खामोश ही सही,
पर हर पल बयां देती हैं l
वक्त घने अंधेरे ही सही,
पर हर पल रौशनी की नई उम्मीद जगाती हैं l
शायद तेरी वो मुस्कुराहट भी झूठी,
पर एक नई शुरुआत की दिशा देती हैं l
वो तेरा हौसला भी अडिग,
जो जिंदगी के मायने सिखाती हैं l
ये कमबख्त जिंदगी में भी न,
अनकहे सपने होते हैं l
उन सपनों के लिए,
न दिन होती है न शाब होती हैं l
पर वो खुशियां मिल ही जाती हैं,
जो तेरे हिस्से में होती हैं l
वो मुरादे पूरी हो ही जाती हैं,
जो तेरे हिस्से में होती हैंl


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