By Ankita Badoni
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मन के हारे बैठे हैं प्रभु,
अब तो तुमको आना होगा
हे राम तुम्हें इस युग में फिर से,
मर्यादा को लाना होगा ।।
जप रहे हैं नाम तुम्हारा,
लोग निरंतर दिन और रात
पर भूल गए वो धर्म तुम्हरा,
उनके कर्म करे आघात
साफ मन और नेक नियत प्रभु !
ये सब डरकर बैठे हैं
अधर्म के रक्षक फन फैलाए,
अब सबको डसने बैठे हैं ।
बन बैठी हैं द्रौपदी सब,
हरदम अपनी लाज बचाए
घात लगाए बैठे हैं अब,
सारे अधम पुरूष पराए
अब गोविंद ना आएंगे ,
ना कोई चीरहरण रूकवाएगा
रक्षक भी अब भक्षक हैं प्रभु,
कोई कैसे लाज बचाएगा ?
हे राम! तुम्हारी धरती को फिर से पावन होना होगा
इस द्वेष, काम की माया से अब तो आगे बढ़ना होगा
राम तुम्हारे इस युग में फिर से,
मर्यादा को लाना होगा,
मन के हारे बैठे हैं प्रभु,
अब तो तुमको आना होगा ।।