By Anjali Jaiswal
एक दिन ऐसा भी आया जब लक्ष्मी के रूप में घर में बेटी आई
एक नई जिंदगी ने जन्म लिया एक अलग सी खुशी छाई।
बाग बाग हुआ मां का दिल वह मन ही मन हर्षाई ,
लेकिन घर वालों को उसकी खुशी रास ना आई।
औलाद को गोद में देखकर आशीष दिलाने की मां की हसरत टूट गई,
तब जब औरतें ही बेटी के खिलाफ उठ खड़ी हुई।
अवश्य तुमसे कोई खता हुई है तभी बेटी के रूप में तुम्हें सजा हुई है
अपनी गलती का तुम पश्चाताप करो इस जन्म में मुख देख सको बेटे का ऐसी दुआएं हजार करो।
बेटियां चंद पलों की मेहमान है,
ये मां बाप पर एक अभिशाप है
इनकी विदाई में मां बाप का पाई पाई चला जाता है
मुड़कर भी नहीं देखती बेटियां अंत में सहारा बेटा ही आता है।
जली कटी सुनाते सुनाते औरतों ने इतना तक कह डाला, मां की हालत का उन्हें जरा भी ख्याल ना आया।
मां ने तब एक प्रण लिया बेटी को बेटे सा बनाने का निश्चय किया।
मानो उसकी जिंदगी में एक नई कहानी शुरू हुई तब ,जब वह मां अपनी बेटी के लिए उठ खड़ी हुई।
मेरी बेटी एक मिसाल बनेगी, सार्थक यह मेरे अरमान करेगी , यह इतनी काबिल बनेगी अपनी लड़ाई खुद लड़ेगी
नाप सके यह भी नभ सारा इतनी लंबी उड़ान भरेगी जीएगी अपने हौसलों के दम पर, सार्थक मेरे अरमान करेगी।
मां ने अपनी पूंजी की पाई पाई लगा दी, गहने छोड़ बेटी के लिए स्कूल ड्रेस बनवा ली।
नित प्रतिदिन उसकी बेटी स्कूल जाने लगी धीरे-धीरे कामयाबी की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी।
एक के बाद एक सफलता की सीढ़ी उसने पार की हाई स्कूल में भी अच्छे नंबर से पास हुई।
एक नई खुशी उमंग और हौसले के साथ उसने कॉलेज तक का सफर तय किया,
पनपी एक ख्वाहिश आंखों में बस फिर उसे पूरा करने का ठान लिया।
खुद में यह उम्मीद जगाई किसी काबिल बनने की आस लगाई
रहु ना मैं किसी पर निर्भर इतना आत्मनिर्भर बनूंगी बन एक डॉक्टर मां का हर सपना पूरा करूंगी।
मैं लड़की हूं पर किसी पर बोझ नहीं लड़की होना कोई दोष नहीं,
मेरा भी अस्तित्व मेरी भी एक पहचान होगी मैं भी किसी कहानी की कोई किरदार होऊंगी।
अपनी कहानी अपने हाथों लिखने वो आगे बढ़ी
अपने हौसलों के दम पर उसने एक लंबी उड़ान भरी,
फिर क्या उसने खूब मेहनत और संघर्ष किया
इन्ही मेहनतो ने उसे एक अस्तित्व दिया।
अपने गांव की वो पहली डॉक्टर बनी
अन्य लड़कियों की मार्गदर्शक बनी,
गांव को नया नजरिया मिला
लड़कियों की काबिलियत का प्रतिमा मिला।
लड़कियां भी किसी से कम नही उसने बता दिया
अपनी काबिलियत और योग्यता का उचित प्रमाण दिया।
मां के जीने का उद्देश्य आज पूरा हुआ
उनके अथक प्रयासों का उन्हें मीठा फल मिला।
उनकी बेटी ने उनके बेटे का भी फर्ज निभाया,
उसने बेटी हुई है से बेटी हो तो ऐसी तक का सफर बखूबी निभाया।