गुज़ार चुके वो – Delhi Poetry Slam

गुज़ार चुके वो

By Amrit Dhandharia

गुज़ार चुके वो
ना जाने कितनी रातें अख़बार पर सोए।
कोई तो दे उन्हें कुछ ऐसा,
जिसे खोने का ग़म उन्हें भी होए।
 
और मुसाफ़िर हैं वो भी इसी सफ़र के, जिसे कहते हक़ीक़त हैं।
बस आए हैं अस्तित्व में – कुछ तोहफ़े खोए।


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