By Amit Sidham
१४ फरवरी २०१९ को सी. आर. पी. ऍफ़ के काफिले पर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद द्वारा आत्मघाती हमला हुआ| इस हमले मैं हमारे चालीस जवान शहीद हुए| १३ दिन की शोक अवधि समाप्त होने के पहले ही, २६ फरवरी २०१९ को भारतीय वायु सेना ने बालाकोट, पाकिस्तान स्थित आतंकी केन्द्रो पर हमला कर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया और दुश्मन को एक शक्तिशाली सन्देश दिया के अब, 'भारत आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा'
यह कविता इसी घटना में शहीद हुए हमारे चालीस जवानो को समर्पित है| कविता ३ भागो मैं लिखी गई है - घटना, प्रतिशोध और चेतावनी|
भाग १ - घटना
भारत माँ की सेवा के लिए, सैकड़ो जवान अपने कर्त्तव्य पर जा रहे थे;
अपने घरो से कोसो दूर होकर भी, ख़ुशी के गीत गा रहे थे|
उनके काफिले पर, अचानक एक कायराना हमला हुआ;
पुलवामा मैं एक धमाका हुआ|
हमारे चालीस जवान शहीद हुए;
न जाने कितने ही बच्चे यतीम हुए|
यह आतंक देख हर हिंदुस्तानी दिल रोया था;
जो न खौला खून, वह खून नहीं पानी था|
भाग २ - प्रतिशोध
ये नया हिंदुस्तान है, 'कड़ी निंदा' से कई कदम आगे की सोचता है;
ईंट का जवाब पथ्थर से देना भली भाँती जानता है|
हमारा दिल गाँधी जी का सम्मान करता है;
हमारा दिल गाँधी जी का सम्मान करता है;
लेकिन दुश्मन ये बात हर बार क्यों भूल जाता है;
के हमारी रगो मैं खून तो छत्रपति शिवजी का बेहता है|
कसम खायी थी हमने, इस आतंक के आकाओं को मिटा देंगे;
जिस पेड़ से पनपी थी यह दहशत, उसकी जड़े ही उखाड़ फेकेंगे|
अब हर उरी का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक होगा;
हर पुलवामा का जवाब एयर स्ट्राइक होगा|
भाग ३ - चेतावनी
वक़्त है, सुधर जाओ, वक़्त है, सुधर जाओ;
अब भी ना सुधरे;
तो सोच नहीं सकते, कहा कहा और किस किस तरह से स्ट्राइक होगा;
इस दुनिया के नक़्शे से तुम्हारा नामो निशाँ मिटा होगा, तुम्हारा नामो निशाँ मिटा होगा|
जय हिन्द