कृति – Delhi Poetry Slam

कृति

By Alka Kumari

कृति,
क्या तुम मेरी सखी बनोगी?
मेरे दिल की बात सुनोगी?
वैसे तो, कई लोग है मेरी जिंदगी में,
पर कोई नहीं,
जो दिल की बात सुने और समझे मुझे,
जबसे तुम आई मेरी जिंदगी में,
एक खूबसूरत सा एहसास है दिल में,
सब कुछ अच्छा लगता है,
जब दिल की बात,
कोरे कागज पर स्याही से ब्यान होता है,
तुम तहम्मुल से सुनती हो मुझे समझती हो,
मेरी जिंदगी के खालीपन को भरती हो,
तुम हर वक्त साथ निभाती हो,
ज़ज़्बातों को शब्दों में पिरोना जानती हो,
तेरे साथ वक़्त कब बीत जाता है,
ये समझ नहीं आता है,
जिंदगी का सफर अब,
मुश्किल नहीं मुमकिन सा लगता है,
जिंदगी अब कोरा कागज नहीं,
हसीन सा लगता है,
हसीन सा लगता है..


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