By Akil Contractor

एक बार होता है, बार-बार नहीं होता
सच्चा प्यार तजुर्बा दो बार नहीं होता
घायल कशिश हथियार बेख के है कदम
हर मासूम हसीना का दिल गुलज़ार नहीं होता
खुशसब्ज पत्ता, फूल गुलिस्ताँ में पनाह
मुरझा के मिट्टी धूल में बेकार नहीं होता
रहने दो बेज़ुबान, बसा यादें ग़मज़दा
हर कोशिश-ए-अदबीयत कभी अशआर नहीं होता
ऐसा लगा फिर मिलने की ज़रूरत जब हुई
अनबन-ओ-बेरुखी का वक़्त दीवार नहीं होता
सिर्फ अक़्स दिखाने को तेरे साथ है बेशतर
आईना ज़मीर-ओ-ज़ेहन दावेदार नहीं होता
दो घूंट पीकर काम को समझता है अगर
उस काम में भरोसे का हकदार नहीं होता
कुछ कहना है ज़रूरी, जब चुप रहना है ख़ता
सिर्फ आँखें मिल गईं, आँख से दीदार नहीं होता
मेहरबान है तब तक तेरा मजमा-ओ-अंजुमन
लबों से कुछ बतौर के दरार नहीं होता
आग दरिया में जल जाने की ख्वाहिश हमारी
दिल ज़ख्मों से महफूज़ तलबगार नहीं होता