By Akanksha Shankar
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मैया एक बात बताना, जगदीश को जो यूं जन्म दिया,
उस नन्हे शिशु को जन्म से ही स्वयं से कैसे दूर किया?
हाँ होंगे वो नारायण अवतार, होंगे वो संसार के सार,
पर तुमने कैसे दूर रखा उस बालक को जिसे चाहिए था तुम्हारा प्यार?
तुम कोई सामान्य नारी नहीं, मैया तुम तो देवी हो,
जो यूं ही अपने जिगर के टुकड़े को जगत कल्याण के लिए दे दी हो।
हुआ था न दर्द, प्रतिदिन सुन-सुन के कैसे वो तुम्हारे लल्ला को मरना चाहते,
कैसे हर दिन मर के भी जिया तुमने, जब वो कान्हा पे किए प्रहार बतलाते?
तुम्हारी व्यथा भी तो सबसे अलग, अपनी संतानों को मरते जो देखा था,
पता नहीं कैसे — एक, न दो, न तीन, न चार — पूरे सात सुतों का शोक झेला था।
बात यदि होती कुछ दिनों तो मैंने भी माना कि तुमने मन को मनाया था,
परंतु पूरे ग्यारह वर्ष अपने पुत्र के बिना, आखिर कैसे बिताया था?
कोई और समझे या ना, मुझे समझ में आता है,
कैसे एक मां से हर क्षण घुट-घुट के जिया जाता है।
हाँ माना कि तुमने कान्हा को न पाला,
और ये भी सत्य है कि वो यशोदा का नंदलाला।
पर जिस अटल विश्वास से जन्मी मनोहर को तुम,
मैया, स्वयं ममता की तो धरोहर हो तुम।
Wow so good