Aditya Dev Singh – Delhi Poetry Slam

Khanabadosh

By Aditya Dev Singh

 

मैं और मेरी मोटर साइकिल, बस इतना काफी है

ना दौलत का शौक, ना दुनिया से खौफ

ना दोस्त अनजाने, ना दुश्मन पहचाने

मैं और मेरी मोटर साइकिल, बस इतना काफी है

आवारा मुसाफ़िर हूँ, ना मंज़िल है, ना साथी है

राही हूँ भवसिंधु का, बस शंभू ही मौजि है

मैं और मेरी मोटर साइकिल, बस इतना काफी है

मैं और मेरी मोटर साइकिल, बस इतना काफी है।


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