Adeela Jawaid – Delhi Poetry Slam

Balcony mei guzri ek shaam

By Adeela Jawaid

चली जब सर्द हवा तो किसी का लहजा याद आया
भर चले ज़ख़्म, अब एक दर्द पुराना याद आया।
यही बरसात, तेज़ हवा, कुछ वादे हुआ करते थे,
हाँ, गर्माहट होती थी — वो कॉफ़ी का कप याद आया।
यादों की अलमारी से कुछ पल हमने ढूंढे आज,
सब धुंधला गया था — एक चेहरा उसका याद आया।
सब भाग रहे हैं किसके पीछे — ये भी अब याद नहीं,
आज रुक के सोचा, तब एक ख़्वाब अधूरा याद आया।
खोए थे माज़ी में जब एक आहट का एहसास हुआ,
घूम के देखा कोई न था — एक दोस्त पुराना याद आया।


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