By Adeela Jawaid
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चली जब सर्द हवा तो किसी का लहजा याद आया
भर चले ज़ख़्म, अब एक दर्द पुराना याद आया।
यही बरसात, तेज़ हवा, कुछ वादे हुआ करते थे,
हाँ, गर्माहट होती थी — वो कॉफ़ी का कप याद आया।
यादों की अलमारी से कुछ पल हमने ढूंढे आज,
सब धुंधला गया था — एक चेहरा उसका याद आया।
सब भाग रहे हैं किसके पीछे — ये भी अब याद नहीं,
आज रुक के सोचा, तब एक ख़्वाब अधूरा याद आया।
खोए थे माज़ी में जब एक आहट का एहसास हुआ,
घूम के देखा कोई न था — एक दोस्त पुराना याद आया।