By Achintya Yadav
रात का अंतिम पहर और सुबह में कुछ समय बाकी है,
आसमां एकदम साफ है बस चाँद तारों की झांकी है,
दूर कहीं शंख और घंटियों का शोर है, हाँ ये गंगा नदी का छोर है,
इस गंगा तीरे तू बैठा मेरे पास हो, मेरे हाथों में तेरा हाथ हो,
लबों पे न कोई बात हो, बस धड़कनों का साथ हो,
औ निगाहों को तेरी देखते, मैंने बितायी पूरी रात हो ।।