चाँद – Delhi Poetry Slam

चाँद

By Aastha Gupta

रात-दिन बस तेरी याद में,
रहता हूँ बेकरार उसी बात से-
कि वो पल एक और बार दोहरा दे,
हम तुझे फिर से न डरा दें।

वो गहरा साथ न मिटे,
सारी मुश्किलें साथ में सहे।
वक़्त है कि क्षण अद्वितीय है,
जो बीत जाए, वो फिर कभी लौटता नहीं है।

हर मुश्किल में तू मेरे साथ है,
धूप में मेरी छाँव बन-
खड़ा हमारे पास है।

तू मेरी रूह में है, पर जिस्म के पास नहीं,
कैसे हम ये मान लें सच्चाई?
अब तू ही बता, कैसे समझूँ मैं-
कहाँ से लाऊँ वो लफ़्ज़ जो तुझे सुनाई दे?

दुनिया देखे चाँद को,
उसकी सुंदरता के लिए-
पर मुझे सिर्फ़ तू दिखाई दे।


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