Waqt – Delhi Poetry Slam

Waqt

By Aaryasidhi Kini

वक़्त,
जो कभी न थमे,
इसके राह में हैं अनेक ख़ज़ाने।
चलते-चलते हासिल कर पाए अपने सपने,
पर कमबख़्त हम वक़्त में हैं थमे!

कहानी में डूबे,
कोशिश लगी है अपनी पहेलियाँ सुलझाने,
पर भूल गए वर्तमान के तोहफ़े,
क्योंकि कमबख़्त हम वक़्त में हैं थमे!

जीत के ढोल-नगाड़े भी लगे सुने जब महफ़िल में होकर भी अनजान बने,
बेरंग हो गईं वो उत्साह और जोश भरी जज़्बातें,
जब कमबख़्त हम वक़्त में रहे थमे!

जब खोई हुई खूबसूरत यादों में हम मुस्कुराते,
तब दुआ करते हैं ये पल भी सजे,
सोचते नहीं इस लम्हे को भी ज़रा दिल से जिएं,
क्योंकि कमबख़्त हम वक़्त में हैं थमे!

कहते हैं वक़्त के साथ सब बदल जाता है,
पर बदलाव के लिए हमें उसके साथ चलना पड़ता है!

इसके राह में होंगे नए दास्ताने,
अपनी प्रकृति को बिन कोई नोंक-झोंक दिल से अपनाएंगे,
उससे आधार और प्रेरणा लेंगे,
जीत की ओर बढ़ेंगे,
क्योंकि ख़ुशनसीब हम-इस बार वक़्त के हाथ हैं थामे!

वक़्त,
जो कभी न थमे,
इसके राह में हैं अनेक ख़ज़ाने,
चलते-चलते हासिल कर लिए हैं हमने अपने सपने।


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