सात सुरों का संगीत – Delhi Poetry Slam

सात सुरों का संगीत

By Kadarbhai Mansuri

 

कुछ पाना है तो अपने हौसलों का बुलंद इतिहास रचा दे ।बोल उठेंगे बेजुबा पत्थर भी अपना उसमें एहसास जगा दे। 

संघर्ष से है यह जिंदगानी कांटों के साथ गुलाब है ।
हंसते-हंसते जीना शीखकर ख्वाबों की रफ्तार बढ़ा दे ।

सुख-दुख संसार में पल दो पल के मेहमान है ।
बहारों की धूम फिर भी आएगी बस रंग में रंग जमा दे ।

टकरा जाना तूफानों से तेरी ही जान पहचान है ।
झील के उस पार जाकर अपनी एक नई हस्ती बना दे ।

ले हिम्मत से काम कुदरत के यहां देर जरूर है ।
मिल जाएगी मुकम्मल मंजिल तुझे नाव रेगिस्तान में चला दे ।

सात सुरों का सुमधुर संगीत सरगम है "मनसुर" ।
सुर संगीत से आबाद रहे ऐसी धूम मचा दे...धूम मचा दे ।


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