पोपट लाल : एक भूचाल – Delhi Poetry Slam

पोपट लाल : एक भूचाल

By Tanishka Ghatak

मैं हूँ पत्रकार पोपट लाल, 

मेरे खबर का शीर्षक है लोगों का भ्रष्ट चाल, 

मेरे साहस से कभी नहीं हो सकता मेरा बुरा हाल।

 

मैंने देखा है लोगों को खाते हुए हानिकारक माल, 

मेरे प्रोत्साहन से आज लोग खाते है देसी दाल,

 इस कारण कोई नहीं जाता है असहनीय पाताल।

 

ऐसा हुआ यह कमाल,

 मेरे खबर से हुआ बवाल,

 मैं ही हूँ क्रांति का मिसाल, 

मेरा समाचार सुनकर भ्रष्टों का लड़खड़ाता है हर चाल । 

 

अब लोगों का खुशी-खुशी जाएगा यह साल,

 उनका जवाब ही है उनका सवाल,  

अब मुझे लेना पड़ेगा अंतराल, 

मेरी खबर सुनकर लोगों को स्मरण हो आया नंदलाल | 

 

आज लोग कहते हैं ‘जय महाकाल, जय महाकाल’,

इस प्रकार लाऊँगा मैं भ्रष्टों के दुनिया में भूचाल ! 

मैं हूँ पोपट लाल,

 मैं हूँ पोपट लाल।


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