बताओ ना – Delhi Poetry Slam

बताओ ना

By Shivali Sharma

सच कड़वे ही होते हैं क्या?
मुझे किसी ने यह ख़त दिया है
"तुमसे इश्क़ है हमें"
तो यह सब ही झूठ होते हैं क्या?
"सच में हम जी नहीं सकते"
सच में क्यों कहते हैं लोग
इश्क़ के बगैर सब रोते हैं क्या?
"सपनों की रानी हो तुम"
सपने देखते होंगे लोग
इन्हें देखने के लिए सब सोते हैं क्या?
"यह सब सच है"
पर यह सब कड़वे नहीं लगते
तो यह सब भी झूठ होते हैं क्या?
सच में यह सब सच लगते हैं
बताओ न,
सच कड़वे ही होते हैं क्या?


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