By Seema Kadam Sutaar
पत्तों से निकलती धीमी आवाज़
ऐसी लगती हैं, मानो हवा के तेज़
झोखे से वो उठती लहरो से मिल
धीमे कुछ कहती हैं
कहती होगी तो क्या कहती होगी
कि मैं तेरे साथ बहना चाहता हूं
ऊब चुका हूं अब इस धरती पे
खड़े खड़े अब मैं
तेरे रूख को अपनाना चाहता हूं
अपने में समेट कर
तुझमें मिलना चाहता हूं।