BY SARANI ROY
दिल में अजीब तब्दीलियों का एहसास है
क्या हुआ की फिर दर्द का एहसास है ।
एकतरफा मोहब्बत में, घर जैसा एहसास है
पर अनजान राह के पीछे, हार का एहसास है ।
कोई शाम किसी के याद में, तबियत बिगड़ने जैसा एहसास है
किसी से प्यार का उम्मीद रखना, किसी लाचारी का एहसास है ।
इत्तेफाक से, प्यार में हर बार बेशुमार सा एहसास है
क्या जल्दबाजी है दिल की, बिना रज़ा के भी प्यार का एहसास है।
नाम उनका लिया जाए या अपना, अपने जैसा ही एहसास है
उनके बंदेगी में सुकून और तड़प दोनों की ही एहसास है ।
उनसे भागना, जैसे रैत में भागने का एहसास है
उनसे बातें ना हो, तब शायद एहसास ना होने का एहसास है !
Achha poetry ka ahesash hai….
Good one. ☺😊
Till my favourite 👌❤️