जीवन एक तुलना

राहुल तिवारी

हम तुलनात्मक श्रेणी में बस्ते हैं ,
तभी ईश्वर आज भी हम पे हंसते हैं ।

जन्म लेते ही वजन की तुलना ,
हमारी रोती हुई शकल की तुलना  ,
जरा बड़े होते ही समझ की तुलना  ,
अव्वल न आने पर अकल की तुलना ।

ज्ञान देते वक्त धर्म की तुलना ,
कम बोलने में शर्म की तुलना  ,
स्त्री और पुरुष की तुलना  ,
करते हैं ये मनुष्य की तुलना  ।

कुछ बोलने पर विचार की तुलना  ,
असामाजिक होने पर शिष्टाचार की तुलना  ,
किसी और को दिए हुए प्यार की तुलना  ,
हमारे पूरे संसार की तुलना  ।

सत्य और झूठ की तुलना  ,
ईर्षा और फूट की तुलना  ,
यूं ही तुलनाओं की गोद में हम बड़े हो गए  ,
स्वयं के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो गए ।

चाहे कितनी ही कार्लो जिंदगी के जशन की तुलना ,
न होगी कभी तुम्हारे कफन की तुलना  .
चाहते हो अगर ईश्वर से जुड़ना  ,
कर लेना अपने वक्त की तुलना  ।


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