डर – Delhi Poetry Slam

डर

By POONAM JAGTAP

चाहो या ना चाहो, 

डर होता हैं सभी को, 

ऐसी बात का जो पता नहीं हैं 

सभी को। 

डर का कोई मुकाबला

नही होता, 

जो एक बार बैठ जाए , 

उसे निकालना आसान नहीं होता। 

डर से जितना आसान नही होता और जो 

जीत जाए, समझलो वो सिकंदर से कम नहीं होता । 

क्योंकी आसान हैं जितना किसी और से, 

पर खुदको हराना हर किसी के बस मे नहीं होता।


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