ख्वाहिश

By Kiran Sharma

मखमली तन पर ख़ूबसूरत तानों-बानों का मलमल
कशीदाकारी से सजे हुए जाल से ढका मन l
सुरमई आँखों में सहेज कर रखा भावों का सैलाब
खनखनाती हँसी में भीगी सी आवाज़ l
पुकारा नही किसी को, न ही साथ माँगा
सफ़र की राहों पर चलना बदस्तूर जारी l
हौसलाअफजाई क्या करे कोई,
जहाँ के सितारे भी पीछे रह गए
मुकम्मल हो रही हैं मंशाएँ भी आहिस्ता-आहिस्ता
और मंजिलें-जहाँ पर रोशनाई हो गई
पर दिले आरज़ू है हमारी ll
ये लौ की तपन कायम हो
चारों ओर पुरसुकून आलम हो ll


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